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100 रुपए में बिक रहा छत्तीसगढ़ का सुगंधित चावल, फिर भी हाईब्रिड धान की पैदावार कर रहे किसान, जानें वजह

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छत्तीसगढ़ को धान के कटोरा के नाम से जाना जाता है. इस प्रदेश में कई किस्म के धान की खेती की जाती है. छत्तीसगढ़ में जीराफूल नाम के धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. आपको बता दें कि इस चावल से सरगुजा जिले की पहचान होती है. आज के समय में हाइब्रिड धान की खेती के सामने इसकी पहचान धीरे-धीरे फीकी पडती जा रही है. जीराफूल धान की खेती का रकबा अब दिन पर दिन घटता जा रहा है.

आपको बता दें कि जीराफूल धान की खेती सिर्फ चुनिंदा किसान ही करते हैं. वह भी बड़े किसान भी छोटे पैमाने पर खेती कर रहे हैं. जबकि जीराफूल चावल बाजार में 80 से 100 रुपए प्रति किलो में मिलता है. सबसे ज्यादा कीमत में बिकने के बावजूद भी किसानों ने इससे दूरी बनाना अब शुरू कर दी है. इसका मुख्य कारण हाइब्रिड धान बताया जा रहा है.

जीराफूल के मुकाबले हाइब्रिड की पैदावार ज्यादा
किसानों का कहना है कि हाइब्रिड धान काफी कम समय में तैयार हो जाता है, और पानी भी इसमें कम लगता है. हाइब्रिड धान प्रति एकड़ में 50 से 55 क्विंटल उत्पादन हो जाता है, हाइब्रिड धान के उत्पादन में जीराफूल धान के मुकाबले में लागत भी कम लगती है. जबकि जीराफूल धान तैयार होने में ज्यादा समय लगता है और पानी की ज्यादा आवश्यकता पड़ती है.

सरकार की तरफ से मोटे अनाज को प्रोत्साहन
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि सरगुजा में पिछले वर्ष तक 1 लाख 35 हजार हे0 में धान की रोपा लगता था, लेकिन सीएम द्वारा धान के बदले तिलहन, दलहन व रागी कुटकी जैसे मोटे अनाज का उत्पाद करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस वजह इस क्षेत्र में करीब 30 हजार हेक्टेयर धान की रकबा वैसे ही कम हो चुका है. ऐसे स्थिति में जीराफूल धान का रकमा घटना लाजिमी है. अब 1 लाख 35 हजार हेक्टेयर से घटकर 1 लाख 5 हजार तक पहुंच गया है.

बाजार में 80-100 रुपये किलो मिल रहा चावल
बाजार में जीराफूल चावल जिसको सुगंधित चावल भी कहा जाता है, इसकी कीमत 80-100 रुपये है. इस सुगंधित चावल की डिमांड सरगुजा सहित अन्य प्रदेशों में भी खूब होती हैं.

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